Tuesday, August 16, 2016

दबंग


लघु कथा

                                दबंग 
   
                                               पवित्रा अग्रवाल                  

      वह तीन महीने बाद आई थी -  "अम्मा काम के वास्ते आई'
 "पद्मा मैं ने तो दूसरी काम वाली रखली ।हमारे ऊपर वाली अम्मा के पास आजकल कोई कामवाली नही है,तू जाकर बात करले काम तुझे मिल जायेगा।....अरे यह तो बता तुझे बेटी पैदा हुई या बेटा ?'
   "अम्मा औरत बच्ची तो पहले से थी..अबी मरद बच्चा हुआ ...मै तो आप्रेशन भी कराली।'  
    "अच्छा ,आप्रेशन के लिये तेरा मरद राजी हो गया ?..'
      "वो राजी कब होना अम्मा ... । बच्चे दो हों या चार उस की सेहत पर क्या असर होना,  परेशानी तो सब  मेरे कू ही होती न। घर में रह कर बच्चे पालती बैठूंगी तो घर कैसे चलता अम्मा ? तीन महीने काम पर नही आई तो बोत कर्जा हो गया।''
 "तेरे आप्रेशन करा लेने पर ..मरद ने झगड़ा नहीं किया ?''
 "उस से किरकिरी होती सोच के मै आप्रेशन नही कराती बोली थी... पर मेरी अम्मा बोत जब्बर है,उससे सब डरते।मेरे को बोत गुस्सा करी और बोली --"पागल नको बन, इन मरदो का क्या भरोसा आज यहाँ कल वहाँ। घर का खर्चा वो चलाता होता तो उसकी बात सुनना था '
 "फिर ?'
 " अम्माइच डाक्टर अम्मा को बोल के आप्रेशन  करा दी।'
 "फिर तेरे मरद को जब आप्रेशन का पता चला तो...'
 " मालुम हुआ तो दवाखाने मे आ के बोत लाल-पीला हुआ पर मेरी अम्मा झिड़क दी बोली"--"जोरू और एक बच्चे को तो पाल नई सकता ...बात करता है ज्यादा बच्चो की।.... फिर खामोश बैठ गिया....।'
 "बच्चों को किस के पास छोड़ कर आई है ?'
     "अबी बच्चों को मरद के पास छोड़ के आई  ...मै तो बोल दी इनको रखता तो काम पे जाती।'


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