Wednesday, August 1, 2012

पर क्या करूँ ?

   लघु कथा               
                                   पर क्या करूँ ?                                                     
                                                                    पवित्रा अग्रवाल
 
           दूसरी बार गर्भवती होने की बात सुनते ही सास ने कहा -"अल्पा अभी किसी को यह नहीं बताना कि तू पेट से है ।'  
        " क्यों मम्मी जी ?'
        " देख बहू परिवार तभी पूरा होता है जब उस में बेटा-बेटी दोनो हों ।....बेटी तो तेरे पास है बस एक बेटे की कमी है...आज कल तो एक टेस्ट कराने से पता लग जाता है कि गर्भ में लड़का है या लड़की ।..तू भी नरेन्द्र के साथ जा कर टेस्ट करा ले ....यदि गर्भ में लड़की हो तो...सफाई करा लेना ।'
         'ये आप क्या कह रही है  मम्मी जी ? बेटे की चाह मुझे भी है पर मैं एसा नहीं कर सकती ।... आप के यहाँ तो चीटी को मारना भी पाप माना जाता है ।आपने शादी से पहले ही मेरे अंडा खाने पर रोक लगा दी थी और अब आप ही मुझ से कह रही हैं कि गर्भ में पल रहे अपने अंश को मिटा दूँ।ये सब क्या है मम्मी ?क्या यह पाप नहीं ?...सब क्या कहेंगे यह भी आप ने नहीं सोचा ?'  
         "सब सोच के ही कह रही हूँ कि किसी को बताना नहीं ।...मैं जानती हूँ यह सब ठीक नहीं पर क्या करूँ ?"                                                     
    
 
 
       पवित्रा अग्रवाल
      घरोंदा--4-7-126,इसामियां बाजार,हैदराबाद--500027
 
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-पवित्रा अग्रवाल
 

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1 Comments:

At August 24, 2012 at 6:12 AM , Blogger सुधाकल्प said...

उफ ,यह समाज ! न जाने बेटा -बेटी को कब समान समझेगा |पाप -पुण्य पर अच्छा व्यंग

 

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