जन्म दिन
लघु कथा - पवित्रा अग्रवाल
जन्म दिन
पिन्टू का जन्म दिन था। अभी मामा का फोन आया था,खुशी से उसका चेहरा दमक रहा था ।
अचानक उसने मम्मी से सवाल किया -- "मम्मी सुबह से मामा , मौसी और यहाँ वाली बुआ का फोन तो आ गया पर चाचा ,ताऊ और दूसरी बुआ का फोन क्यों नहीं आया ?'
मुंह बना कर मम्मी ने कहा --"उनका तो कभी नहीं आता ।'
"क्यों नहीं आता मम्मी ?'
"बेटा जिनको प्यार होता है वही जन्म दिन याद रखते हैं और फोन भी करते हैं ।तुम्हारे पापा के घर वालों को तुम लोगों से प्यार ही नहीं है तो फोन क्यों करेंगे । उन लोगो को तो तुम्हारा बर्थ डे याद भी नहीं होगा ।"
"अरे बच्चों के मन में क्यों जहर भर रही है...बेटा मम्मी से पूछ जैसे वह हर साल याद करके अपने भाई,बहनों को बर्थ डे विश करती है आज तक कभी तुम्हारे चाचा, ताऊ ,बुआ आदि को विश किया है ?.. फिर उनसे उम्मीद क्यों करती है ?"
"हाँ मम्मी पापा कह तो ठीक रहे हैं ।"
"क्या ठीक कह रहे हैं....किया करें न फोन, मैंने इन्हें रोका है क्या? "
"हाँ मुझे याद नहीं रहता....पर मैं शिकायत भी तो नहीं करता ।...तुम्हारी यहाँ वाली बुआ तो हमेशा हम सब के जन्म दिन पर फोन करती हैं , पर क्या तुमने या तुम्हारी मम्मी ने जानने की कोशिश की है कि उनका या उनके बच्चों का जन्म दिन कब होता है ?... बेटा प्यार पाने के लिए प्यार देना भी पड़ता है पर तुम्हारी मम्मी की समझ में यह कभी नहीं आया ।'
"आप ठीक कह रहे हैं पापा , हमें भी उन्हें विश करना चाहिए या फिर शिकायत नहीं करनी चाहिए ।'
-पवित्रा अग्रवाल
09393385447
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home