लघु कथा
टी आर पी का चक्कर
पवित्रा अग्रवाल
नन्दा ने टी. वी. खोला और खटाक से बन्द करते हुए बोली --" न्यूज चैनल वाले तो लगता है पागल हो गए हैं,कुछ और दिखाने को जैसे इनके पास है ही नहीं ।'
"ऐसा क्यों कह रही हो ?'
"तो और क्या कहूँ ?एक प्रोग्राम में गेर ने शिल्पा को चूम क्या लिया ,बस न्यूज में विस्तार से वही दिन में कई कई बार दिखाने का उन्हें मौका मिल गया ।'
"लेकिन शिल्पा को देखो उसे तो कुछ भी गलत नहीं लग रहा बल्कि वह तो गेर की वकालत कर रही है कि गेर ने ऐसा भी क्या कर दिया जो भारतीय संस्कृति के नाम पर बवाल मचाया जा रहा है। वह एक अच्छे कॉज के लिए यहाँ आया है... हमें उस की कदर करनी चाहिए ..हाँ वह थोड़ा वह बहक गए थे पर हमारी संस्कृति में तो अतिथि देवो भव भी कहा गया है'...... क्या यह सब सही तर्क हैं ?'
"तुम बिलकुल सही कह रहे हो पर अभी मैं बात शिल्पा और गेर के सही या गलत होने की नहीं कर रही हूँ । बात न्यूज चैनल्स की नीयत की कर रही हूँ ।'
"मैं समझा नहीं तुम क्या कहना चाहती हो ?'
"मैं कहना चाहती हूँ कि गेर ने शिल्पा को एक बार चूमा ,उसे कितने प्रतिशत लोगों ने देखा होगा ? किन्तु चैनल्स अपनी टी आर पी बढ़ाने के लिए उस सीन को दिन में पचासों बार दिखा रहे है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग देखें ...क्या वह सीन बार बार दिखाए बिना न्यूज नहीं बन सकती ?'
"सो तो है सब उसे भुनाने में लगे हैं ।''
"ऐसा क्यों कह रही हो ?'
"तो और क्या कहूँ ?एक प्रोग्राम में गेर ने शिल्पा को चूम क्या लिया ,बस न्यूज में विस्तार से वही दिन में कई कई बार दिखाने का उन्हें मौका मिल गया ।'
"लेकिन शिल्पा को देखो उसे तो कुछ भी गलत नहीं लग रहा बल्कि वह तो गेर की वकालत कर रही है कि गेर ने ऐसा भी क्या कर दिया जो भारतीय संस्कृति के नाम पर बवाल मचाया जा रहा है। वह एक अच्छे कॉज के लिए यहाँ आया है... हमें उस की कदर करनी चाहिए ..हाँ वह थोड़ा वह बहक गए थे पर हमारी संस्कृति में तो अतिथि देवो भव भी कहा गया है'...... क्या यह सब सही तर्क हैं ?'
"तुम बिलकुल सही कह रहे हो पर अभी मैं बात शिल्पा और गेर के सही या गलत होने की नहीं कर रही हूँ । बात न्यूज चैनल्स की नीयत की कर रही हूँ ।'
"मैं समझा नहीं तुम क्या कहना चाहती हो ?'
"मैं कहना चाहती हूँ कि गेर ने शिल्पा को एक बार चूमा ,उसे कितने प्रतिशत लोगों ने देखा होगा ? किन्तु चैनल्स अपनी टी आर पी बढ़ाने के लिए उस सीन को दिन में पचासों बार दिखा रहे है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग देखें ...क्या वह सीन बार बार दिखाए बिना न्यूज नहीं बन सकती ?'
"सो तो है सब उसे भुनाने में लगे हैं ।''
2 Comments:
विडम्बना है यह!
dhanyavad shastri ji
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